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NRC और CAA कानून - आधी हकीकत आधा फ़साना

NRC


NRC पर चाहे कोई अफवाह फैलाए या सच्चाई बताए। मैं तो इतना जान गया हु कि NRC ने फिर एक बार इस देश में हिंदू-मुस्लिम करवा दिया। हमारे देश के लोग भी CAA और CAB पर बंटे हुए दिख रहे है। जहां एक तरफ हिन्दू समाज इस कानून के पक्ष में है तो दुसरे तरफ़ पुरे मुस्लिम समाज इस कानून के खिलाफ में है। अगर दूसरे धर्मो कि बात कि जाए तो सिख् समाज भी इस कानून से खुश हैं और जैन,बौध,पारसी,कृष्चन समाज को खाशा फर्क नही परा है। भले ही ये देश धर्म निरपेक्ष हो लेकिन इस देश में मुख्य रूप से 3 धर्मो कि बात होती है। हिन्दू-मुस्लिम-सिख् क्योंकि ईनकी संख्या इस देश मैं कड़ोरो मे है।  अब धर्म कि बात छोड़ हम मुद्दे पर आते हैं।  
                                                              NRC और CAB "जहां भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है वहीं इस कानुन के लागु होने पर कुछ मुस्लिम देश भी इसके खिलाफ बोलने लगे हैं। इस कानून पर पहला प्रतीक्रिया जहां पाकिस्तान और बंगलादेश से आई वहीं इन पड़ोसी देशों के अलावा मलेशिया के भी सुर पाकिस्तान के सुर में सुनाई देने लगे। हालांकि सुत्रो से ये भी पता लगा है कि तुर्कि भी इस कानुन के खिलाफ है। लेकीन तुर्कि के तरफ से कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि इनके अलावा दुसरे मुस्लिम देशों कि बात करें तो भीतर से वो भी इस कानुन के खिलाफ है लेकिन वो भारत के खिलाफ बोल कर कोई रिक्श नहीं लेना चाहते क्योंकि बाकि देशों से भारत के आर्थिक और राजनीतिक सम्बन्ध बहुत मधुर है
                                                                    NRC और CAB के बारे में भी बताना जरूरी है जो जानते हैं वो तो दोनों को समझते ही होंगे लेकिन जो नही जानते हैं उन्हें मैं NRC और CAB के बारे में जरुर बताना चाहुंगा। 
NRC -  NRC के तहत जो लोग भारत के है उन्ही को भारत में रहने का हक है। और NRC के तहत लोगों को साबित करना पड़ेगा कि वो भारत के नागरिक हैं। उनको अपने पुर्वजों के कुछ दस्तावेज भी दिखाने पर सकते हैं। हालांकि सरकार ने अभी साफ नहीं किया है कि NRC लागु होने पर उन्हें क्या क्या दस्तावेज दिखाने पड़ सकते हैं। 



CAB - CAB में उन हिन्दु ,सिख् ,जैन, बौद्ध, पारसी ,कृष्च्न समाज के लोगों को भारत कि नागरिकता मिलेगी जो लोग बंगलादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर परितारित हो कर वहां से भाग आए हैं। क्योंकि ये तीनों देश इस्लामिक देश है इसलिए यहां से कोई मुस्लिम धर्म के आधार पर परितारित नहीं हो सकता इसलिए मुस्लिमों को इसमें नही रखा गया है। 



इस कानून के आने के बाद जहां भारत कि राजनीति में भुचाल आया हुआ है वहीं विदेशो में भी ईसकि चर्चा खुब हो रही है
भारत में तो आन्दोलनो का ईतीहास रहा है वहीं विपक्ष वाले भी ईस कानुन के खिलाफ आन्दोलन छेड़ रखा है इसमें हरेक पार्टी का अपना अपना तर्क अलग-अलग है।

BJP - BJP का कहना है कि किसी को भी डरने कि जरूरत नहीं है विपक्ष लोगों मे अफवाह फैला रही है और हिन्दु मुस्लिम के बिच दरार पैदा कर रही है। चुकीं ये कानून भारत के लोगों को सुरक्षित रखने और अधीकार कि कानुन है इसलिए भारत के लोगों को डरने कि जरुरत नहीं है जो लोग अवैध तरिका से भारत में आकर रह रहे हैं उनके लिए ये कानुन है और उनको हि डरने कि जरुरत है 

हालांकि हमें लगता है पुरे भाजपा ने इस बात को लाखों बार बोल चुंकि है लेकिन शायद विपक्ष और मुस्लिम समाज को समझाने में अभी तक कामयाब नही हो पाई है। भले ही पुरी BJP मिलकर देश के 5% मुसलमानों को समझाने में कामयाब ना हो पाई हो लेकिन योगी के जलवे UP में देखने को मिल रहे हैं और शायद योगी जी ने UP के आधा से ज़्यादा मुसलमानों को समझाने में कामयाब भी हो गए है क्यों और कैसे ये तो जब उग्र प्रर्दशन वाली बात बताएंगे तो बताएंगे अभी इस टाॅपीक पर बात कर लीया जाए


Congress - हालांकि Congress कि बात हमें समझ ही नहीं आती कि Congress कहना क्या चाहती है क्योंकि Congress सिर्फ यही कह रही है कि ये कानुन संविधान के खिलाफ है लेकिन समझाने में कामयाब नहीं हो पाई है कि क्यों खिलाफ है। हा बस ये कह सकते हैं कि Congress अपनी विपक्षी पार्टी कहलाने का फर्ज अदा कर रही है

सच में जब से Congress 2014 कि election हारी है तब से पता नही इस पार्टी को क्या हो गया है? क्योंकि इससे अच्छा तो ममता दीदी और ओवैसी काका अपनी बात लोगों के बिच बहुत ही मजबुती से रखते हैं। और हां इन दोनों कि बात मुसलमान बहुत गौर से भी सुनते है तो हम ये भी कह सकते हैं कि अगर मुसलमान गुमराह हुए हैं तो उनके पीछे इन दोनों का हाथ ज्यादा और बाकि विपक्षी पार्टियां का 30% ही होगा।


AIMIM -  कहने को तो भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है लेकिन इसमें भी धर्म के आधार पर राजनीतिक पार्टियां बनती है। इसमें एक AIMIM एक राजनीतिक पार्टी है जिसके अध्यक्ष अशद्दुदीन ओवैसी है जो सिर्फ India के Muslims को हि represent करते हैं ईनका कहना है कि NRC के तहत भारत के मुसलमानों को अलग कर दीया जाएगा और उन्हें अपने हि देश में सरनार्थी के जिंदगी जिने पर मजबुर किया जाएगा। और जो दूसरे धर्म के लोग भारत में आए है उन्हें नागरिकता दे दिया जाएगा। 


हालांकि ओवैसी जी का ईसपर आधी हकिकत आधा फ़साना बहुत है पर हम इनकि बहकावे का समर्थन नहीं करते हु और इनको ज्यादा तरजीह ना देते हुए ईनको सलाह देना चाहते हैं कि आप जिन्ना-२ बनने कि कोशिश ना करें।



TMC - TMC जिसको ममता दीदी represent करती है उनका भी असम का उदाहरण देते हुए ओवैसी कि तरह ही यही कहना है कि ये कानुन मुसलमानों और बंगाल के खिलाफ है उनका तो यहां तक कहना है कि NRC & CAB को बंगाल में लागु नहीं होने देंगे।  इस साल के अंत तक बंगाल में चुनाव भी होने वाली है इसलिए अमित साह और ममता दिदि में बयानबाजी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है आगे-आगे देखिए होता है क्या। 

 TMC का भी डरना वाजिब सी बात है  क्योंकि बंगाल में मुसलमान एक अहम वोट वैंक है वो भी इस मौके को नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि बंगाल में बीजेपी ने हिन्दू मुस्लिम कर रखी है और दीदी को सिर्फ मुसलमानो पर ही यकिन है क्योंकि मुसलमान कांग्रेस और सीपीआई के तरफ खसक ना जाए इसलिए वो सुरु से ही मुसलमानों के चक्कर में लग गइ है। क्योंकि वो भी जानती है कि बीजेपी जहां हिन्दु मुस्लिम करती है वहां हिन्दूओं का लगभग 75% वोट BJP को ही जाता है 


Siv sena - हालांकि ये पार्टी कभी BJP के सहयोगी हुआ करती थी लेकिन ये अब विपक्षी हो गई है हालांकि sivsena सुरु से ही NRC & CAA के समर्थक रही है लेकिन महाराष्ट्र में Congress,ncp के सहयोग से सरकार चलाने की वजह में खुल कर इस कानून का समर्थन नहीं करती है ये ज्यादा दबाव होने के वजह से है। लेकिन इसका खुलकर विरोध भी नहीं करती है कभी मिली-जुली तो कभी-कभी छोटी सी विरोध दबी हुई आवाज में सुनाई देती है

चुकीं शिवसेना ने अपना हित देखकर महाराष्ट्र में Congress और NCP के सहयोग से सरकार बनाई है तो वाजिब सी बात है कि शिवसेना इस कानून के पक्ष में खुलकर तो नहीं ही आएगी। अब देखते हैं शिवसेना अपनी विचारधारा कब तक छिपाती फिरती है। शायद जब तक सत्ता है तबतक। 


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